बस्तर मित्र न्यूज।
कोरोना महामारी के पिछले दो सालों में शरीर में वायरस का पता लगाने के लिए हमारी नाक का इस्तेमाल किया गया। जहां हेल्थ वर्कर्स ने नाक में स्वाब स्टिक डालकर सैंपल लिए, वहीं घर पर करने वाले टेस्ट ने भी लोगों को नाक से सैंपल निकालने का महारथी बना दिया। पर अब ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों के बीच वैज्ञानिक कह रहे हैं कि वायरस को डिटेक्ट करने का सबसे अच्छा जरिया नाक नहीं, बल्कि मुंह है।
डॉ. मिल्टन और उनकी टीम ने कोरोना टेस्ट के बेहतर मेथड को पहचानने के लिए एक रिसर्च की। इसमें कोरोना मरीजों में लक्षण आने से पहले ही उनकी नाक और मुंह से सैंपल ले लिए गए। रिसर्च के मुताबिक, नाक की तुलना में मुंह में तीन गुना ज्यादा वायरस पाया गया। साथ ही, मुंह से लिए गए सैंपल ने ज्यादा कोरोना पॉजिटिव रिजल्ट्स दिए। ये नाक की तुलना में 12 गुना ज्यादा था।
अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने हाल ही में कुछ सलाइवा-बेस्ड कोरोना टेस्ट किट्स को मंजूरी दी है। ये स्कूलों में बच्चों की कोरोना जांच करने में काम आ रहे हैं। पर अभी भी दुनिया भर की सरकारों के पास इस टेस्ट के लिए अच्छा इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं है। येल स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की माइक्रोबायोलॉजिस्ट ऐनी वायली कहती हैं कि अभी भी बहुत सी सरकारें और लैब कोरोना टेस्टिंग के पुराने मेथड पर ही अटकी हैं। हमे समय के साथ-साथ टेक्नोलॉजी में बदलाव करना होगा।