छत्तीसगढ़

अंग्रेजों के जमाने का थाना जगमगाया, पहली बार रायपुर सिटी कोतवाली में स्पेशल लाइटिंग...

रायपुर/बस्तर मित्र

रायपुर में इकलौता अंग्रेजों के जमाने का थाना, सिटी कोतवाली गणतंत्र दिवस के मौके पर खास तौर पर सजाया गया है। पहली बार यहां ऐसी लाइटिंग की गई है जो देशभक्ति की धुनों पर नाचेगी। रात के अंधेरे में तकरीबन हर रंग की रोशन में सजा राजधानी का ये थाना देखते ही बन रहा है। राहगीर इसकी रोशन और रंगीनियत को देख ठहर जा रहे हैं और मोबाइल कैमरे में हर कोई इसे कैद कर लेना चाहता है।

गणतंत्र दिवस से एक दिन पहले मंगलवार की शाम यहां स्पेशल लाइटिंग का ट्रायल लिया गया। पूरी इमारत के सामने के हिस्से में LED लाइट्स की स्ट्रीप्स लगाई गई हैं, फोर साइड फोकस लैम्प्स और प्रोजेक्ट फोकस लाइट्स जो कई बॉलीवुड अवॉर्ड शोज के स्टेज पर यूज होती हैं, उन्हें थाने के बालकनी और इमारत के ऊपरी हिस्से में भी लगाया गया है। थाने की इमारत पर इन लाइट्स को ऐसे सेट किया गया है कि जब देश भक्ति सॉन्ग यहां बजाए जा रहे हैं तो ये लाइट्स भी उन बीट्स पर रोशनी के जरिए थिरकती दिखती हैं। यहां अरपा पैरी के धार, परचम लहरा दो, रंग दे बसंती जैसे गाने बजाए जा रहे हैं।

सिटी कोतवाली थाने का दिलचस्प इतिहास :-

मालवीय रोड से कालीबाड़ी मार्ग पर पुराने भवन में संचालित कोतवाली से शहर का इतिहास जुड़ा हुआ है। साल 1802 में अंग्रेजों की कचहरी चलती थी। करीब 100 साल बाद 1903 में यह इमारत पुलिस विभाग के सुपुर्द कर दी गई। तब से ही यहां कोतवाली संचालित हो रही थी। रायपुर अंग्रेजों के समय नागपुर कमिश्नरेट के अंतर्गत आता था। तब बिंद्रा नवागढ़ और भखारा में भी इसकी दो पुलिस चौकियां थीं।

स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान पं. रविशंकर शुक्ल, वामन राव लाखे, माधवराव सप्रे, सुंदरलाल शर्मा, खूबचंद बघेल जैसे स्वतंत्रता सेनानियों ने कोतवाली थाने के हवालात में कई दिन गुजारे। 1857 की क्रांति की सुनवाई तब इसी कचहरी भवन में होती थी। बंदियों को रखने के लिए बंदी गृह भी उसी समय बनाया गया, जो आज भी वैसा ही था। असहयोग आंदोलन के दौरान स्वतंत्रता सेनानी यहीं बंद रहे थे।

पुरानी इमारत को पिछले साल गिराया:-

थाने की पुरानी इमारत को पिछले साल ट्रैफिक की समसया को देखते हुए गिरा दिया गया। अब नई इमारत है। मग सिटी कोतवाली पुराने जमाने से ही शहर का प्रमुख चौराहा रहा है। नगर में किसी भी प्रकार का धार्मिक, राजनैतिक, श्रमिक, छात्र गतिविधियों के कारण कोई भी जुलूस निकले, इसी चौक से होकर जाता। पुरानी इमारत को 15 अगस्त 1998 से सिटी कोतवाली थाना को पुरातात्विक महत्व का भवन घोषित किया गया था ।




About author

LAXMI JURRI

पत्रकारिता के लिए समर्पित...



0 Comments


Leave a Reply

Scroll to Top