
छत्तीसगढ़ में इस साल रिकॉर्ड धान खरीदी की गई है। राज्य बनने के बाद यानी 21 साल में छत्तीसगढ़ में धान खरीदी 5 लाख टन से बढ़कर 98 लाख टन हो गई। इस साल 21 लाख 77 हजार 288 किसानों ने एमएसपी पर धान बेचा। इसके लिए उन्हें 20 हजार करोड़ रुपए दिए गए हैं। किसानों का यही पैसा बाजार में आएगा, जिससे सभी सेक्टरों में उछाल आएगा और सरकारी खजाने में भी जीएसटी और अन्य माध्यमों से भी पैसा जमा होगा। इससे छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था में तेजी बनी रहेगी।
राज्य में पिछले साल 20 लाख 53 हजार किसानों से 92 लाख टन धान की खरीदी हुई थी और किसानों को 9 हजार 83 करोड़ 97 लाख रुपए दिए गए हैं। छत्तीसगढ़ के 20 हजार गांवों में लगभग 36 लाख किसान हैं। राज्य बनने के बाद साल 2001 में 37 लाख हेक्टेयर में 23 लाख टन धान का उत्पादन हुआ था जबकि सिर्फ 4 लाख 63 हजार टन ही खरीदा गया था। इसके बाद धान का उत्पादन बढ़ने के साथ ही खरीदी भी बढ़ती गई।
साल 2007-08 में 58 लाख टन धान का उत्पादन हुआ जिसमें से सिर्फ 31 लाख 57 हजार टन की खरीदी हुई। इसी तरह 2016-17 में 69.59 लाख टन तथा 2017-18 में 57 लाख टन धान की खरीदी गई थी। इसके बाद 2019-20 में 83 लाख टन, 2020-21 में 92 लाख टन धान की खरीदी की गई। यानी धान बेचने वाले किसानो के साथ धान का रकबा और धान खरीदी का आंकड़ा लगातार बढ़ता गया। 2021-22 में धान बेचने के लिए कुल 24 लाख 06 हजार 560 किसानों ने पंजीयन कराया था। यानी एक साल में धान बेचने के लिए पंजीकृत किसानों की संख्या लगभग सवा लाख बढ़ गई है। इस साल किसानों की सहूलियत के लिए खरीदी केन्द्रों की संख्या 2311 से बढ़ाकर 2484 कर दी गई।
देश में 36.95 लाख मिलियन हेक्टेयर में खेती होती है। धान उत्पादक राज्यों में पश्चिम बंगाल, यूपी, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, पंजाब, ओड़िशा, बिहार व छत्तीसगढ़ शामिल हैं। केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के 2015-16 से 2019-20 के खरीफ सीजन में सबसे ज्यादा छत्तीसगढ़ के किसानों ने धान बेचा। इसमें पंजाब दूसरे, तेलंगाना तीसरे, ओडिशा चौथे और हरियाणा पांचवें नंबर पर रहा। वहीं, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अनुसार खरीफ 2019-20 में सबसे ज्यादा तेलंगाना के 19.88 लाख, हरियाणा में 18.91 लाख, ओडिशा के 11.61 और पंजाब के 11.25 लाख किसानों से खरीदा गया।
प्रदेश में धान का उठाव और कस्टम मिलिंग का काम तेजी से जारी है। अब तक 66 लाख टन धान का उठाव हो चुका है। कस्टम मिलिंग कर भारतीय खाद्य निगम में 9.90 लाख टन एवं नान में 8.08 लाख टन चावल जमा किया जा चुका है।
छत्तीसगढ़ सरकार किसानों से 25 सौ रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीद रही है। यानी अंतर की राशि का भुगतान राजीव गांधी किसान न्याय योजना के माध्यम से चार किस्तों में किया जाएगा। इसके तहत लगभग छह हजार करोड़ रुपए और किसानों की जेब में जाएंगे।