बस्तर संभाग

बस्तर के बाजारों में बिक रहे नवजात बांस . . .

जगदलपुर.

दुर्लभ एवं बेशकिमती वनो से आच्छादित बस्तर जिला वनपरिक्षेत्र में साल के साथ बॉस के जंगल है। प्रतिवर्ष वन विभाग द्वारा इस वन परिक्षेत्र मे करोडो रूपयें इनकी देख रेख मे खर्च किया जाता है। साल वृक्ष के अलावा प्रदेश को प्रतिवर्ष करोडो रूपयें की वन राजस्व देने वाला तेंदू के वृक्ष भी इस क्षेत्र मे मौजदू है।

बस्तर जिले के समस्त वन परिक्षेत्र में इन इमारती लकड़ी के आलवा जिस बॉस वृक्ष की बहुतायत इस क्षेत्र मे उससे भी प्रतिवर्ष करोडो रूपयें की आय वन विभाग को इन बॉस वृक्ष की व्यवसायिक बिक्री से होता है। वन विभाग जगदलपुर वन परिक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सैकड़ो ग्राम पंचायत एवं वन ग्रामो मे बॉस वृक्ष की रोपणी कराती है। इसके साथ-साथ ही इनके संरक्षण हेतु विभाग के हजारो कर्मचारी दिन रात लगे रहते है। लेकिन प्रविर्ष मानसुन सत्र प्रारंभ होते ही इन संरक्षित बॉस वृक्षो के कोमल पौधों की कटाई ग्रामीण द्वारा किया जा रहा है।

जिससे प्रतिवर्ष विभाग को करोड़ो रूपयों का नुकसान उठाना पड रहा है। एक जानकारी के अनुसार ग्रामीण बॉस के नवजात पौधे जिसे इस क्षेत्र मे बास्ता (करील) के नाम से जाना जाता है। उसे ग्रामीण अथवा शहरी लोग चाव से उसकी सब्जी बनाकर खाते है। केवल कुछ शौक की पूर्ति के लिये ही वन विभाग के नाक के नीचे प्रतिदिन बस्तर जिला वन परिक्षेत्र के भीतर कई हजार नवजात बॉस के पौधो के भ्रुण की हत्या कर उसे बाजार मे लाकर उसे औने पौने दामों में बेचा जा रहा है। वन विभाग द्वारा ही प्राप्त जानकरी के अनुसार एक पूर्ण व्यस्क बॉस का पौधा जो करीब 6 मीटर का होता है उसकी कीमत विभाग द्वारा 70 से 75 रूपये ऑकी जाती है। ऐसे पूर्ण व्यस्क पौधों की कटाई समय पर करके वन विभाग इसकी नीलामी राष्ट्रीय स्तर पर करता है। जिससे वन विभाग को करोडों रूपये का राजस्व प्राप्त होता है। किन्तु विभाग के अधिकारी कर्मचारी की लापरवाही अथवा मिली भगत के माध्यम से प्रतिदिन बॉस के हजारों पौधे जंगलो से कटकर इस क्षेत्र के बाजारो मे बिक रहे है। बस्तर जिला वन परिक्षेत्र के आलावा दरभा, तोकापाल विकासखंड के सैकड़ो ग्राम पंचायत के साप्ताहिक बाजारो मे ये नवजात बॉस के पौधे बास्ता के रूप मे दस से बीस रूपये के बिक रहे है। छत्तीसगढ़ शासन के वन विभाग द्वारा प्रतिवर्ष लाखों बॉस के वृक्ष नर्सरी मे रोपकर इस वन ग्राम मे स्थानीय वन कर्मियों की देख रेख मे रोपे जाते है। कई वर्ष तक इसका संरक्षण भी किया जाता है। किन्तु वन विभाग के अधिकारी, कर्मचारी की लापरवाही एवं भ्रष्टाचारी रैवय्या के कारण प्रतिवर्ष मानसुन सत्र प्रारंभ होने के साथ ही जहॉ प्रतिदिन बॉस के लाखो पौधो की रोपणी प्रारंभ होती है। वही इसी सत्र मे प्रतिदिन नवजात बॉस के पौधे जिसे हम बास्ता कहते है उसकी भु्रण हत्या कर उसे बाजार मे लाकर बेच दिया जाता है। समय रहते अगर वन विभाग अपने कर्मचारियों पर नकेल कसे तो प्रतिदिन हजारो बॉस वृक्षो की भु्रण हत्या होने से बच सकती है एवं उसके उचित संरक्षण से विभाग को प्रतिवर्ष करोडो रूपये के वन राजस्व की प्राप्ति भी हो सकती है।




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PANKAJ BAGCHI

मेरे शब्द कलम-स्याही से नहीं, आत्मा की आग-पानी से भलखे जाते हैं.



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