बस्तर मित्र न्यूज रायपुर
नक्सल अपराध के मामलों में जेलों में बंद निर्दोष आदिवासियों की रिहाई की आस बढ़ गई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ऐसे मामलों में गिरफ्तार स्थानीय आदिवासियों के लंबित प्रकरणों के शीघ्र निराकरण करने के निर्देश दिए हैं। बघेल ने मंगलवार को अपने निवास कार्यालय में गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू और आला अफसरों के साथ इसकी समीक्षा की। बैठक के बाद पत्रकारों से चर्चा में बघेल ने कहा कि आदिवासियों के मामले में पुलिस लगातार काम रह रही है। इन मामलों में तेज कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ऐसे मामलों में गिरफ्तार स्थानीय आदिवासियों के लंबित प्रकरणों के शीघ्र निराकरण करने के निर्देश दिए हैं। बघेल ने मंगलवार को अपने निवास कार्यालय में गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू और आला अफसरों के साथ इसकी समीक्षा की। बैठक के बाद पत्रकारों से चर्चा में बघेल ने कहा कि आदिवासियों के मामले में पुलिस लगातार काम कर रही है। इन मामलों में तेज कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं।
बैठक में अनुसूचित जनजाति वर्ग के व्यक्तियों के विरूद्ध में दर्ज प्रकरणों की वापसी के साथ ही नक्सल प्रकरणों के त्वरित निराकरण की समीक्षा की गई। अफसरों ने बताया कि आदिवासियों के विरूद्ध दर्ज प्रकरण वापसी के लिए गठित न्यायमूर्ति ए.के. पटनायक समिति की अनुशंसा पर 632 प्रकरणों में 752 आदिवासी के विरूद्ध दर्ज केस (प्रकरणों) की वापसी की गई है। बैठक में मुख्य सचिव अमिताभ जैन, अपर मुख्य सचिव गृह सुब्रत साहू, डीजीपी अशोक जुनेजा, महानिदेशक नगर सेना अरूण देव गौतम, पुलिस महानिरीक्षक (गुप्तवार्ता) आनंद छाबड़ा उपस्थित रहे।
811 प्रकरणों की हुई शीघ्र सुनवाई
इसी तरह वर्ष 2019 के पहले नक्सल अपराधों में गिफ्तार स्थानीय आदिवासियों के न्यायालय में विचाराधीन प्रकरणों के त्वरित निराकरण किया गया है। अभी तक 811 प्रकरणों में कुल 1244 स्थानीय आदिवासी लाभांवित हुए हैं। इनके प्रकरण न्यायालय से समाप्त हुए।
लगभग 23 हजार प्रकरण थे विचाराधीन
कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनाव में निर्दोष आदिवासियों को रिहा करने का वादा किया था। सत्ता में आने के बाद अप्रैल 2019 में मामलों की समीक्षा शुरू हुई। उस वक्त करीब 23 हजार प्रकरण थे। इसमें 6,743 विचाराधीन मामले में 1,039 के खिलाफ नक्सल मामले दर्ज थे। वहीं, राज्य की विभिन्न् जेलों में बंद 16,475 आदिवासी में से 5,239 नक्सली मामलों में आरोपित थे। इनमें ऐसे आदिवासी ऐसे भी थे जो गरीबी या कानूनी मदद नहीं मिलने के कारण गिरफ्तारी के खिलाफ अपील तक नहीं कर पाए। साल 2019 में बनाई गई थी पटनायक कमेटी , छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनने के बाद सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस एके पटनायक की अध्यक्षता में साल 2019 कमेटी गठित किया गया है जो बस्तर के जेलों में बंद आदीवासियों की रिहाई पर तीन बिंदुओं के आधार पर समीक्षा कर सरकार को रिपोर्ट भेज रही है । नक्सल से जुड़े मामले को भी दो वर्गों में बांटा गया है, पहला खुद हथियार उठाने का मामला और दूसरा जो भीड़ में शामिल रहे।