कांकेर/बस्तर मित्र।
राज्य शासन द्वारा दिये गये निर्देशों के परिपालन में आगामी फसल बोआई के पहले खूले में चाराई कर रहें पशुओं के नियंत्रण हेतु रोका-छेका कार्यक्रम का आयोजन जिले के गौठानों में किया जा रहा है। रोका-छेका कार्यक्रम में पशुओं को गौठान में लाने के लिए ग्रामवासियों एवं पशु पालकों को प्रोत्साहित की जा रही है, साथ ही गौठान को मल्टीएक्टीविटी सेंटर के रूप में विकसित करने के लिए भी समझाईश दिया जा रहा है। कांकेर विकासखण्ड के ग्राम पंचायत भीरावाही के आश्रित ग्राम टुराखार के गौठान में कलेक्टर चन्दन कुमार और जनपद पंचायत कांकेर उपाध्यक्ष रोमनाथ जैन की उपस्थिति में रोका-छेका कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
रोका-छेका कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कलेक्टर चन्दन कुमार ने कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य पशुओं को खुले में चरने से बचाना है। पशु के खुले में रहने से बोये गये फसल को चर देते हैं, जिससे नुकसान होता है। अतः सभी पशु पालक अपने पशुओं को गौठान में लायें ताकि फसल को क्षति से बचाया जा सकें। उन्होने कहा कि खरीफ मौसम में ही नहीं बल्कि सालभर पशुओं को गौठान में लाया जावे ताकि किसान धान के बाद दूसरी अन्य फसल भी ले सके और दो बार फसल लेने से उनकी आर्थिक आमदनी बढ़ेगी, जिससे वे आर्थिक रूप से सक्षम होंगे। पशुओं के खुले में रहने से किसानों को अपनी फसल बचाने के लिए अपने खेत के चारों ओर फेंसिंग करना पड़ता है। यदि हम एक ही स्थान गौठान में सभी पशुओं को लायेंगे तो किसानों को अपने खेत की सुरक्षा के लिए फेंसिंग करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी तथा इस व्यय से वे बच जायेंगे।
किसानों को सालभर किसी न किसी फसल की खेती करने के लिए प्रोत्साहित करते हुए कलेक्टर चन्दन कुमार ने कहा कि केवल धान की खेती से ही उन्नति नही हो सकती, इसके साथ-साथ अन्य लाभकारी फसलों की खेती के अलावा खेती के साथ-साथ उसे जुडी हुई अन्य व्यवसाय जैसे- मुर्गी पालन, मछली पालन, दुग्ध व्यवसाय इत्यादि को भी अपनाने जावे। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार गौठानों को ग्रामीण औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित कर रही है ताकि लोग यहॉ विभिन्न गतिविधियों मछली पालन, मुर्गी पालन, सब्जी उत्पादन इत्यादि को सीखे और उसे अपने घर में भी अपनाये। कांकेर जिले में 35 गौठानों को मल्टीएक्टीविटी क्षेत्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। पशुओं को गौठान में लाने के लिए ग्रामीणों को प्रोत्साहित करते हुए उन्होंने कहा कि यहॉ पशुओं का टीकाकरण किया जाता है, जिससे वे बिमारियों से बचते है तथा कृत्रिम गर्भाधान से उन्नत नस्ल के बछड़े पैदा होते हैं।
गोबर से वर्मीकम्पोस्ट बनाया जाता है, जो फसल के लिए लाभदायक है। वर्मीकम्पोस्ट रासायनिक खाद के विकल्प के रूप में किसानों के पास पहुंच रहा है। उन्होंने शासकीय योजनाओं से लाभ उठाने की अपील भी किया। रोका-छेका कार्यक्रम में उन्होंने जनप्रतिनिधियों के साथ पशुओं को धान, गुड एवं चारा खिलाया तथा महिला स्व-सहायता समूह द्वारा तैयार की गई सामाग्री का अवलोकन भी किया।
रोका-छेका कार्यक्रम को जनपद पंचायत के उपाध्यक्ष रोमनाथ जैन, जनपद सदस्य राजेश भास्कर एवं श्रीमती नूतन सुभाष जैन, गौठान समिति के अध्यक्ष महेन्द्र यादव और ग्राम पंचायत भीरावाही के सरपंच श्रीमती संगीता कोमरा ने भी संबोधित किया। श्रीमती सुरेखा निषाद द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत की गई। इस अवसर पर पशु चिकित्सा विभाग द्वारा निःशुल्क पशु चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें 15 पशुओं का उपचार, 32 पशुओं के लिए औषधि वितरण, 81 पशुओं का टीकाकरण, 19 पशुओं एवं 25 बकरियों का डी-वर्मीग तथा 04 पशओ को बधियाकरण किया गया।