कांकेर/बस्तर मित्र।
राज्य अजजा आयोग के सदस्य और जिला वनोपज सहकारी संघ के अध्यक्ष नितिन पोटाई आज अचानक कांकेर के लाख प्रशिक्षण केन्द्र माकड़ी स्थित लघु वनोपज संघ के वनोंत्पाद के लिए बनाये गये परीक्षण लैब पहुंचे जहां उन्होंने छत्तीसगढ़ मार्ट के अन्तर्गत खरीदी एवं प्रसंस्कृत उत्पाद का परीक्षण किये जा रहे कार्यों का अवलोकन किया तथा वहां उपस्थित इन्टरर्म लैब इनालिस्ट ढलेश्वर सिन्हा से आवश्यक जानकारी प्राप्त किया । यह परीक्षण लैब छत्तीसगढ़ के प्रत्येक वनवृत स्तर में स्थापित किया गया है। जिसमें लघु वनोपज जैसे- कोदो-कुटकी, रागी, इमली, लाख, महुआ, पलाश फूल, वन तुलसी, हर्रा, भेहड़ा, आदि उत्पादों को बाजार मानक शुद्धता परीक्षण किया जाता है साथ प्रोसेसे उत्पाद जैसे - महुआ लड्डू, शहद, अस्वगंधा चूर्ण, पलाश रंग, महुआ कुकिस, जामुन जूस, इमली चटनी, आदि उत्पाद का भी एपीआई मानक परीक्षण का कार्य किया जा रहा है ।
इस परीक्षण के लिए यहां हार्ट एयर ओवन, सिल्वर सेक, हनी कलद फोटो मैच, लत्ता बैथ, इनफार्वड मस्टूल, मेन्स टूरू, एनालिसिस जैसे अत्याधुनिक मशीन स्थापित किये गये है जिनके द्वारा इन उत्पादों के आद्रता प्रतिशत, फारइगन मेटर्स , कलर, साइज, टीएस बल्ब डेन्ससिटी, आदि गुणो का परीक्षण किया जाता है ताकि इन उत्पादों को बाजार में उच्च दामों में विक्रय किया जा सके।
प्रयोगशाला के निरीक्षण के पश्चात नितिन पोटाई ने कहा कि बस्तर अंचल में बहुतायत मात्रा में वनोपज का उत्पादन होता है। जिसके संग्रहण का कार्य स्थानीय आदिवासी भाइयों वन के आस-पास रहने वाले निवासियों एवं महिलाओं द्वारा किया जाता है और यह उनके जीविका का मुख्य साधन भी है। कांकेर जिले में ही लगभग 45 हजार लघु वनोपज संग्राहक परिवार इससे जुड़े हुए है। सरकार द्वारा यहां गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित किया जाना एक सराहनीय पहल है। वन स्तर पर इस तरह के मशीनों के लगने और उसके गुणवत्ता की जांच पश्चात खुले मार्केट में विक्रय किये जाने से इन वनोपज संग्राहक परिवारों को उनके वनोपज का उचित मूल्य मिलेगा तथा उनके जीवन स्तर में भी सुधार होगा।
नितिन पोटाई ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा वनों में उत्पन्न होन वाले 65 प्रकार के लघु वनोपज खरीदी न्यून्तम समर्थन मूल्य में की जा रही है जिससे लघु वनोपज संग्राहक परिवार न केवल आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे है बल्कि इन संग्राहक परिवारों द्वारा लघु वनोपज उत्पाद के संसाधनों का संरक्षण एवं संवर्धन भी किया जा रहा है जो पर्यावरण की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। आने वाले समय में यह कार्य इस अंचल के लिए मील का पत्थर साबित होगा।