कांकेर
कलेक्टर डॉ. प्रियंका शुक्ला ने जिले के नागरिकों को बाल विवाह न करने और न ही बाल विवाह होने देने की अपील करते हुए कहा कि बाल विवाह एक सामाजिक कुप्रथा एवं काननून अपराध है, इसे जड़ से खत्म करना होगा। बाल विवाह बच्चों के अधिकारों का निर्मम उल्लंघन है। बाल विवाह के कारण बच्चों के पूर्ण और परिपक्व व्यक्ति के रूप में विकसित होने के अधिकार, इच्छा, स्वास्थ्य, पोषण व शिक्षा पाने और हिंसा, उत्पीड़न व शोषण से बचाव के मूलभूत अधिकारों का हनन होता है। कम उम्र में विवाह से बालिका का शारीरिक विकास रूक जाता है तथा कम उम्र की मां और उसके बच्चे दोनों की जान और सेहत खतरे में पड़ जाती है। कम उम्र की मां के नवजात शिशुओं का वजन कम रह जाता है, साथ ही उनके सामने कुपोषण व खून की कमी की भी ज्यादा आषंका बनी रहती है। बाल विवाह की वजह से बहुत सारे बच्चे अनपढ़ और अकुशल रह जाते हैं, जिससे उनके सामने अच्छे रोजगार पाने और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने की ज्यादा संभावना नहीं बचती है।
कलेक्टर डॉ. प्रियंका शुक्ला ने कहा कि 21 वर्ष से कम आयु के लड़के और 18 वर्ष से कम आयु की लड़की का विवाह प्रतिबंधित है। कोई भी व्यक्ति जो बाल विवाह में सम्मिलित होता है या उसमें सहायता करता है, उन्हें 2 वर्ष तक का कठोर करावास अथवा जुर्माना जो कि 1 लाख रूपए तक हो सकता है अथवा दोनों से दण्डित किया जा सकता है। बाल विवाह होने की सूचना आंगनबाडी कार्यकर्ता जो ग्राम पंचायत स्तरीय बाल संरक्षण समिति के सदस्य भी होते हैं, के द्वारा तत्काल पहुॅचाई जा सकती है। बाल विवाह की सूचना बाल संरक्षण समिति, अनुविभागीय दंडाधिकारी, पुलिस थाने, महिला एवं बाल विकास विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी-कर्मचारी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, ग्राम पंचायत के सरपंच, सचिव, कोटवार, थाना प्रभारी, अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) अथवा जिला प्रशासन के अधिकारियों के अलावा चाईल्ड हेल्पलाईन नंबर 1098 तथा महिला हेल्पलाईन नंबर 181 में दी जा सकती है।