
छत्तीसगढ़ के वन्यजीव संरक्षण को एक नई दिशा देते हुए कबीरधाम जिले के भोरमदेव अभयारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में पहुंच गई है. रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल की मांग पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के माध्यम से छत्तीसगढ़ सरकार को जरुरी निर्देश जारी किए हैं.
साल 2014 में तत्कालीन भाजपा सरकार के दौरान भोरमदेव अभयारण्य को टाइगर रिजर्व बनाने के फैसला के खिलाफ कांग्रेस नेता मोहम्मद अकबर ने विरोध किया था. उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया था कि भोरमदेव अभयारण्य को टाइगर रिजर्व बनाने से 39 गांव के 17 हजार 566 लोग को विस्थापित करना पड़ेगा, जिससे बैगा आदिवासियों की प्राचीन संस्कृति को चोट पहुंचाने का हवाला दिया गया था.
वन्यजीव एक्सपर्ट का मानना है कि भोरमदेव अभयारण्य को टाइगर रिजर्व बनाने का फैसला महत्वपूर्ण है. इससे बाघों के अलावा तेंदुआ, भालू, वन भैंसा, हिरण, सांभर जैसे अन्य वन्यजीव को सुरक्षित स्थान मिलेगा. इसके साथ ही जंगलों में मानव दखल कम होगा. इससे तेजी से घट रहे वनों को बचाया जा सकेगा.
जानकारों की मानें तो टाइगर रिजर्व बनने से कोर एरिया में आने वाले 39 गांव को विस्थापित करना पड़ेगा. इससे पीढ़ियों से निवास करने वाले 17 हजार 566 आदिवासियों को उनके मूल स्थान से हटाकर कहीं और ले जाया जाएगा, जिसमें बैगा जनजाति से जुड़े लोगों की संख्या ज्यादा है. आदिवासियों के विस्थापन से उनकी प्राचीन संस्कृति, वनों के साथ उनके संबंधों को भी चोट पहुंच सकती है.