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बिहार के इस गांव में 80% लोग पान की खेती पर निर्भर...

कांकेर

वैशाली जिले के गोरौल प्रखंड के धाने गोरौल गांव में पान की खेती से किसान अच्छी कमाई कर रहे हैं. इस गांव में 80 प्रतिशत लोग पान की खेती पर निर्भर हैं. पान की खेती के लिए मशहूर इस गांव की चमक बरकरार है. धाने गोरौल गांव में बड़े पैमाने पर पान की खेती होती है और किसान इसे नगदी फसल मानते हैं. यहां के हरे पान की मांग काफी है और कई किसान इससे जुड़े हुए हैं. इस गांव की खुशहाली पान की खेती से ही है. यहां से पान मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, समस्तीपुर, दरभंगा, मोतिहारी और बेतिया सहित दर्जनों जिलों में भेजे जाते हैं.

यहां के किसानों का मानना है कि उनके पूर्वज भी पान की खेती करते थे और वे उसी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं. पान की खेती अगस्त महीने में होती है और इसमें काफी मेहनत लगती है.

रोजगार न मिलने पर उन्होंने भी पूर्वजों के काम को आगे बढ़ाना शुरू किया. वे पान तैयार कर मुजफ्फरपुर में सप्लाई करते हैं या व्यापारी खुद खेत से पान ले जाते हैं. इस पैसे से वे अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और घर-परिवार चलाते हैं.

पान की खेती करने के लिए पहले खेत की जुताई अच्छी तरह से करनी होती है. उसके बाद बांस काटकर एक घेरा बनाया जाता है और अगस्त महीने में पान की रोपनी की जाती है.

अगर सरकार पान की खेती पर थोड़ा ध्यान दे और लोन उपलब्ध कराए तो वे और बढ़-चढ़कर इसकी खेती करेंगे. लेकिन पूंजी कम होने के कारण वे एक से डेढ़ एकड़ में ही खेती कर पाते हैं और उसी से अपना घर-परिवार चलाते हैं. उनका कहना है कि उन्हें कोई देखने वाला नहीं है, न सरकार सुनती है और न प्रशासन.




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Kiran Komra

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