
नगरनार में स्थापित एनएमडीसी का 25 हजार करोड़ का स्टील प्लांट आर्सेलर मित्तल के हाथों में जा सकता है। इसकी सुगबुगाहट तेज हो गई है। प्लांट के भीतर स्टील मिनिस्ट्री और आर्सेलर की टीम के आने की तैयारी चल रही है। साफ-सफाई के साथ ही अन्य व्यवस्थाएं दुरुस्त की जा रही हैं। बताया जा रहा है इस महीने के अंत तक आर्सेलर की टीम यहां आएगी और चीजों को फाइनल करेगी।
प्लांट के श्रमिक यूनियन कह रहे हैं कि एनएमडीसी ने प्लांट को बेचने की तैयारी कर ली है। 1 अप्रैल से प्लांट निजी हाथों में जा सकता है। हालांकि प्लांट प्रबंधन इस बारे में कुछ भी नहीं कह रहा है। दरअसल पिछले साल 29 नवंबर को जिंदल स्टील और आर्सेलर मित्तल की टीम स्टेट बैंक के अधिकारियों के साथ प्लांट पहुंची थी। बताया जा रहा है कि तब वैल्यूएशन की कार्रवाई पूरी की गई थी। इसके बाद तेजी से प्लांट को निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया शुरू की गई।
हालांकि उस दौरान श्रमिक यूनियनों के विरोध के बीच प्लांट प्रबंधन ने कहा कि प्लांट का निजीकरण नहीं हो रहा है। कंपनी प्लांट में तैयार हो रहे मटेरियल को देखने आई हैं लेकिन कंपनियों के साथ एसबीआई के आने से यह तय हो गया था कि प्लांट के निजीकरण की तैयारी चल रही है। अब बताया जा रहा है कि केंद्रीय इस्पात मंत्रालय ने आर्सेलर मित्तल को प्लांट देने की तैयारी कर ली है। नए वित्तीय वर्ष यानी 1 अप्रैल से प्लांट में आर्सेलर मित्तल का काम शुरू हो सकता है।
पिछली बार नवंबर में जब कंपनियों ने प्लांट का दौरा किया था तो सुबह-सुबह अंधेरे में ही कंपनियों को प्लांट में दाखिल करवा दिया गया था ताकि कोई विरोध ना हो। कहा जा रहा है कि इसी दौरान कंपनियों ने सब कुछ फाइनल कर दिया था। इसके बाद कंपनियों ने बाकी की प्रक्रिया दिल्ली में पूरी की। दिल्ली में ही प्लांट को आर्सेलर मित्तल को दिया जाना तय हुआ।
आर्सेलर मित्तल लक्ष्मी मित्तल के स्वामित्व वाली एक बहुराष्ट्रीय इस्पात कंपनी है। यह दुनिया की सबसे बड़ी इस्पात और खनन कंपनियों में से एक है। इसका मुख्यालय यूरोप के लक्ज़मबर्ग में है। फिलहाल कंपनी के सीईओ आदित्य मित्तल हैं। साल 2006 में भारतीय स्वामित्व वाली मित्तल स्टील और आर्सेलर के विलय से आर्सेलर मित्तल की स्थापना हुई थी।