
पंचायत के नौ गांव के लगभग 400 लोगों की विशेष ग्राम सभा में 13 मतांतरित परिवारों को बुलाकर गांव के रीति-रिवाज, परंपरा का पालन करने की बात कही गई। ग्रामीणों की समझाइश के बाद भी छह परिवारों ने मूल धर्म में लौटने से इंकार कर दिया। इसके बाद वह गांव को छोड़कर चले गए।
छह परिवार जिन्होंने मूलधर्म में वापसी करने से मना कर दिया और गांव छोड़ने पर सहमत होकर अपना पूरा सामान लेकर चले गए। ग्राम सभा में मतांतरित परिवारों ने बताया कि लगभग दस साल पहले उन सभी ने मतांतरित समुदाय के लोगों के चर्च जाने पर बीमारी के ठीक होने की बात कहने के बाद मत परिवर्तन कर लिया था।
आदिवासी संस्कृति-परंपरा को छोड़ कर चर्च जाने लगे थे। गांव छोड़कर जाने वाले विनय कुमार ने बताया कि घर में लोग बीमार पड़ रहे थे और गांव के वड्डे (पुजारी) के पास जाने से स्वास्थ्य ठीक नहीं हो रहा था। इसके बाद साल 2015 से वे मतांतरित होकर चर्च जाने लगे। चर्च में प्रार्थना से बीमारी ठीक हुई है।
अब गांव के लोग दोबारा मूलधर्म में वापसी करने को कह रहे हैं, नहीं तो गांव छोड़कर जाने कहा है। गांव की संस्कृति और परंपरा से नहीं जुड़ना चाहते, इसलिए गांव छोड़कर जाना स्वीकार लिया है। गांव के सभी लोगों ने मिलकर छह परिवारों के सामान ट्रैक्टर में लादने में मदद भी की है।
ग्रामीणों ने कहा कि मतांतरण से गांव की परंपरा और संस्कृति को गहरा आघात पहुंचा है। इसी तरह यदि सभी गांव की मूल परंपरा को छोड़ते जाएंगे तो एक दिन पूरी संस्कृति ही नष्ट हो जाएगी।