
बस्तर का प्रवेश द्वार कांकेर अपनी नैसर्गिक सौदर्य, पहाड़ व झरनों के लिए प्रसिद्ध है। कला और संस्कृति सीमाओं से परे होते है। आतुरगांव हायर सेकेण्डरी स्कूल में ऑनलाइन चित्रकला सीख रही व छात्राओं से मिलने आई नेथली बीयर्ड का दोपहर में डुमाली स्कूल में आगमन हुआ।
प्राथमिक शाला डुमाली के नन्हें बच्चों ने नृत्य के माध्यम से ग्रामीणों ने कौड़ी व महुए की माला व शाला परिवार ने मोंगरे के हार व पुष्प गुच्छ भेंट कर भव्य स्वागत किया। डुमाली के सरपंच हृदयराम शोरी, शिक्षिका देविका कोमरे व ग्रामीणों ने बस्तर के व्यंजन मड़िया पेज व आम, इमली की चटनी, बस्तर के जीरा गुंडा का शर्बत पिला कर पारंपरिक व्यंजन खिलाया। जिसकी उन्होने जमकर तारीफ की। अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि महिलाएं एक समय में कई कार्य सहजता से कर लेती है। उन्होंने बताया कि कोरोनाकाल से विभिन्न देशों में ऑनलाइन पेंटिग के अलावा छात्राओं को हाइजिन, पियानों व कुकिंग के टिप्स देती है।
ग्रामीण महिलाओं और बच्चों ने बहुत से सवाल पूछें, यथा पेंटिग के माध्यम से आप क्य संदेश देना चाहती है, कांकेर आने का उद्देश्य व टर्की की संस्कृति के बारे में जानकारी ली। उन्होंने सभी प्रश्नों का सहजता से जवाब दिया और बताया कि वहां भी अधिकांश लोग शिक्षित नहीं है। महिलाओं को लड़कों को भी घरेलू काम सिखाने हेतु आग्रह किया । सबके साथ छायाचित्र लिए व पुनः आने का वादा कर विदा हुई।
इस अवसर पर वाटर हेड इंडिया के राज्य प्रोगा्रम डायरेक्टर मानस विश्वास भी उपस्थित थे। जिन्होनें उनके संदेश का हिन्दी अनुवाद किया। प्राचार्य अर्चना शुक्ला, हृदयराम शोरी नें भी अपने विचार व्यक्त किए। मंच संचालन व्याख्याता मीरा आर्ची चौहान ने किया।
इस अवसर पर शाला परिवार प्राथमिक, मिडिल व हायर सेकंडरी, ग्रामीण जन, युवा, महिलाओं के अलावा बस्तर आर्ट के चित्रकला व्याख्यता मुरारी देवांगन, शेखर महलवार, पुष्पांजलि ठाकुर, जिला समन्वयक अजहर कुरैशी, अरूण जैन, तिलक जैन, नरेन्द्र सहारे, रोशन साहू, रोशन नांगवंशी, शाला परिवार व ग्रामवासी उपस्थित थे।