
बस्तर संभाग के चार जिलों बस्तर, सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर से समर्थन मूल्य पर खरीदे गए करीब 10 लाख क्विंटल धान अब भी विभिन्न संग्रहण केंद्रों में खुले आसमान के नीचे पड़ा है। धान खरीदी को चार महीने बीत चुके हैं, लेकिन उठाव प्रक्रिया की सुस्ती और कस्टम मिलिंग के अनुबंधों में देरी के कारण यह धान अब गुणवत्ता क्षरण के खतरे में है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, जिन धान का उठाव अब तक नहीं हो पाया है, नीलामी प्रक्रिया और मिलर्स से कस्टम मिलिंग अनुबंधों के क्रियान्वयन में देरी की वजह से लाखों क्विंटल धान अब भी ट्रांसपोर्टेशन का इंतजार कर रहा है। यदि शीघ्र उठाव नहीं हुआ तो धान की नमी बढ़ेगी, जिससे उसका उपयोग खाद्यान्न के रूप में करना संभव नहीं रहेगा। इससे सरकारी राजस्व को नुकसान होगा।
बस्तर में मानसून दस्तक दे चुका है, और जून माह की शुरुआत से लगातार हो रही बारिश के कारण खुले में रखे धान की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। कई स्थानों पर प्लास्टिक शीट से ढंकने की असफल कोशिशों के बावजूद नमी और फफूंद लगने की शिकायतें सामने आ रही हैं।