कांकेर/बस्तर मित्र।
गोंडवाना समाज समन्वय समिति बस्तर संभाग का हजोर भूमकाल महासभा का आयोजन हर 5 साल में होता है। कोरोना संक्रमण के कारण 2 साल आयोजन नहीं हो पाया। अब 7 साल के अंतराल के बाद बस्तर संभाग के बीजापुर में गत दिन महासभा आयोजित हुई। इसमें सामाजिक संविधान नियमावली में संशोधन करते हुए रूढ़ीगत परंपरा को कायम रखने का निर्णय लिया गया। जन्म से लेकर विवाह और मृत्यु तक होने वाले रीति-रिवाजों को बिना आडंबर सादगी से समाज के रूढ़ीगत नियमों से ही कराने का प्रस्ताव पारित किया गया।
बच्चे के जन्म के 7 दिन बाद में छट्टी और नामकरण बिना आडंबर के किया जाएगा। अनावश्यक गाड़ियों का प्रयोग करते बारात जैसा माहौल बनाकर उत्सव करना प्रतिबंध रहेगा। शादी विवाह में दहेज देना या लेना प्रतिबंधित किया गया। शादी विवाह में आडंबर युक्त साज सज्जा करना, आधुनिक स्टेज बनाना, बूफे सिस्टम से भोजन कराना, बैंड बाजा पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया। माता पिता और परिवार के लोगों को छोड़कर अन्य रिश्तेदार ही शादी में दूल्हा-दुल्हन को भेंट स्वरूप राशि दे सकते हैं। शादी के दिन और शादी के बाद भीड़भाड़ वाले आयोजन करना प्रतिबंधित किया गया। शादी आयोजन को समाज की परंपरा अनुसार सादगी से कराने का निर्णय लिया गया ।
मृत शरीर को दफनाने की प्रथा रहेगी कायम
मृत शरीर को जमीन में दफनाने की प्रथा कायम रखने का निर्णय लिया गया। गोंडवाना समाज 750 गोत्र समूह में विभाजित है। हर गोत्र का टोटल कोई ना कोई पेड़-पौधे, पहाड़-पर्वत, जीव-जंतु, पशु-पक्षी और गांव की सामूहिक टोटल नदी-नाला, खार-नाल, सरार है जिसे किसी भी तरह से क्षति नहीं पहुंचाना है और दूषित नहीं करना है। किसी भी वस्तु का सामाजिक नियमों के अनुसार जरूरत के हिसाब से ही उपयोग होगा।