शिक्षा

10वीं-12वीं की बोर्ड परीक्षाएं 1 मार्च से शुरू, स्कूलों में अब तक सिलेबस अधूरा...

जगदलपुर :- सीजी बोर्ड और शासन के नियमों के बावजूद 35 दिन कम क्लास लग पाई हैं। 10वीं-12वीं की साल में 220 दिन क्लास जरूरी पर इस बार 185 दिन ही लगी, सिलेबस अधूरा रह गया है। इस बार स्कूलों में 10वीं-12वीं की पढ़ाई पिछड़ी हुई है। स्कूलों में सिलेबस पूरा नही हो पाया है। दूसरी तरफ शिक्षकों और छात्रों पर बेहतर परिणाम देने का दबाव है। छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मण्डल से मान्यता प्राप्त स्कूलों को सालभर में 220 दिन क्लास लगाना अनिवार्य है। इसके लिए हर साल शासन की ओर से निर्देश जारी किए जाते हैं, लेकिन इस साल स्कूलों में सिर्फ 185 दिन ही क्लास लगाई जा सकी है। बाकी के 35 दिन छात्रों की क्लास नहीं लगी है।

मार्च से बोर्ड की परीक्षाएं शुरू

अब इस चक्कर में ज्यादातर स्कूलों में सिलेबस पूरा नहीं किया जा सका है। मार्च से बोर्ड की परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं। कई ऐसे विषय भी होंगे जिन्हें बिना पढ़े ही छात्र परीक्षा देने पहुंचेंगे। जबकि 220 दिन के हिसाब से ही छात्रों का सिलेबस बनाया गया है। अनिवार्य रूप से स्कूल संचालित नहीं होने के पीछे यह बातें सामने निकल कर आ रही हैं कि कई ऐसे त्योहार हैं जिसमें स्कूलों को छुट्टी दी जा रही है। शिक्षकों की दूसरे कामों में ड्यूटी लगा दी जाती है। बच्चों के क्लास लगने की अवधि में लगभग एक महीने की कटौती हुई है।

टारगेट आधारित पढ़ाई करवा रहे लेकिन समय ही नहीं

बस्तर कलेक्टर ने बीते दिनों जिले के सभी स्कूलों को समय पर सिलेबस पूरा करने और अन्य निर्देश दिए हैं ताकि रिजल्ट बेहतर हो सके, लेकिन कहा जा रहा है कि जब समय ही पर्याप्त नहीं बचा है तो कैसे टारगेट पूरा किया जाए। बच्चे अब खुद ही पढ़ाई कर रहे और ट्यूशन का सहारा लेकर अपना सिलेबस पूरा कर रहे हैं। बस्तर में पिछले एक दशक से लगातार निराशाजनक परिणाम ही सामने आ रहे हैं।

बोर्ड की कक्षाओं में ज्यादा छुटियां ना दी जाएं

स्कूलों के साथ ही शिक्षा विभाग रिजल्ट बेहतर करने पर काम कर रहे हैं। ऐसे में अब उनकी ओर से ही कहा जा रहा है कि अतिरिक्त छुट्टियां नुकसानदायक हैं। छात्रों को ऐसे दिनों पर छुट्टी नहीं देनी चाहिए। जिनमें वह घर जाकर कुछ सीख नहीं सकता। बल्कि स्कूल लगाकर उनका कोर्स पूरा करवाया जाना चाहिए। सिलेबस पूरा नहीं होना चिंताजनक है।

स्कूलों में सिलेबस अधूरा और 1 मार्च से शुरू हो रही परीक्षाएं

कक्षाओं के लिए जो सिलेबस तैयार किया जाता है वह 220 दिन में पूरा हो इस तरह से तैयार किया गया है, लेकिन बराबर क्लास नहीं लगने से रिजल्ट खराब हो रहा है। बच्चे सेल्फ स्टडी के भरोसे ही परीक्षा देने जा रहे हैं। यह पहली बार नहीं है बल्कि बीते पांच साल के आंकड़े बताते हैं कि हर बार सिर्फ 180 से 190 दिन ही स्कूलों का संचालन किया जा सका है। इसका सीधा असर हर बार बच्चों की शिक्षा गुणवत्ता पर पड़ता है। यही कारण है कि स्कूलों में ज्यातर कक्षाओं के सिलेबस पूरे नहीं करवाए जा सके हैं।




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Kiran Komra

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