
बस्तर बदल रहा है। माड़ से मुंबई तक की सड़क बन रही है। जहां पगड़ंडियां हुआ करती थीं वहां भी चमचमाती सड़क बन चुकी हैं। इस सब के बीच बस्तर की सबसे प्रमुख सड़क उपेक्षित है। यह सडक़ जगदलपुर को राजधानी रायपुर को जोड़ती है। इस सड़क से एक बार गुजरने के लिए बस्तर के लोग सरकार को लगभग दो सौ रुपए का टोल टैक्स चुकाते हैं फिर भी इस सड़क पर बस्तर के लोगों का संघर्ष जारी है।
सड़क के बीच में पड़ने वाली केशकाल घाटी आज भी बस्तर के लिए चुनौती बनी हुई है। घाट पर अगर मामूली जाम भी लग जाए तो बस्तर के लोग प्रदेश की राजधानी से 8 से 10 घंटे के लिए कट जाते हैं। घाट की समस्या को खत्म करने के लिए 10 साल पहले केशकाल बायपास का प्रोजेक्ट केंद्र सरकार ने स्वीकृत किया था। 120 करोड़ के इस प्रोजेक्ट पर कुछ वक्त तक काम हुआ और ठेकेदार ने काम बंद कर दिया।
जिस दिन केशकाल घाट का विकल्प केशकाल बायपास तैयार हो जाएगा उस दिन बस्तर के लोगों की सबसे बड़ी समस्या खत्म हो जाएगी। इस 11.50 किमी के बायपास में सात पुल बनाए जा रहे हैं। बेहद दुर्गम रास्तों के बीच से होकर गुजरने वाले इस बायसपास में 225 और 200 मीटर लंबे दो पुल बनाए जा रहे हैं, और 100-100 मीटर के पांच और पुल भी बनाए जाएंगे। यह बायपास बस्तर का सबसे आधुनिक बायपास होगा लेकिन फिलहाल यह सिर्फ एक सपना ही है।
जगदलपुर से रायपुर के बीच केशकाल को छोड़ तीन बायपास बन गए लेकिन केशकाल में काम दस साल के बाद भी अधूरा है। कांकेर, धमतरी और अभनपुर बायपास पर गाडिय़ां दौड़ रही हैं लेकिन इस सडक़ के लिए सबसे जरूरी केशकाल घाट का काम ही अधूरा है। कोण्डागांव बायसपास भी जल्द शुरू हो जाएगा। यह सडक़ लगातार बेहतर होती जा रही है लेकिन रास्ते में केशकाल घाट का रोड़ा अब तक खत्म नहीं हो पाया है।
सितंबर 2024 में दिल्ली में देश के सभी राज्यों के साथ केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने बैठक की थी। इस बैठक में गडकरी ने प्रदेश के लिए कई सडक़ परियोजनाओं को मंजूरी दी थी। उन्होंने जगदलपुर-रायपुर रोड को फोरलेन में तब्दील करने और केशकाल बायपास का काम जल्द पूरा होने की घोषणा की थी। गडकरी की इस घोषणा के बाद भी बायपास का काम अधर में पड़ा हुआ है।