
बस्तर संभाग के प्रवेश द्वार उत्तर बस्तर कांकेर में आदिवासी विश्वविद्यालय की मांग की दिशा में अब गति आने लगी है। जिस बाबत् अब पत्र व्यवहार प्रारम्भ हो गया है। भौगोलिक दृष्टिकोण से जिला मुख्यालय कांकेर से शहीद महेन्द्र कर्मा विश्वविद्यालय बस्तर और पं. रविशंकर विश्वविद्यालय रायपुर की दूरी अंचल के प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा से वंचित कर रही है। इसे महसूस करते हुए पूर्व पंचायत सदस्य और जिला सहकारी संघ के अध्यक्ष सियो पोटाई ने छत्तीसगढ प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का जब 7 अप्रैल 2025 केा चैतरई पर्व के अवसर पर गोड़वाना भवन कांकेर आगमन हुआ था। तब उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र सौंपकर उत्तर बस्तर में आदिवासी विश्वविद्यालय प्रारम्भ किये जाने का अनुरोध किया था। जिस पर मुख्यमंत्री सचिवालय द्वारा आयुक्त उच्च शिक्षा विभाग संचालनालय को इस दिशा आवश्यक कार्यवाही हेतु पत्र लिखा था। पत्र मिलने पर आयुक्त उच्च शिक्षा विभाग द्वारा शहीद महेन्द्र कर्मा विश्वविद्यालय के कुलसचिव को पत्र लिखकर नवीन आदिवासी विश्वविद्याल के स्थापना की मांग का परीक्षण, नवीन विश्वविद्यालय की आवश्यकता एवं वर्तमान व्यवस्था के तहत छात्र-छात्राओं को हो रही कठिनाइयों का परीक्षण करते हुए अभिमत सुनिश्चित करने को कहा है। कांकेर में आदिवासी विश्वविद्यालय खोलने की दिशा में यह प्रथम प्रयास है।
ध्यातव्य हो कि आदिवासियों के महापर्व चैतरई के अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के कांकेर आगमन पर जिला सहकारी संघ के अध्यक्ष सियो पोटाई ने पत्र के माध्यम से मुख्मंत्री को अवगत कराया था कि बस्तर उत्तर बस्तर कांकेर प्राचीन समय से ही शिक्षा का एक महत्वपूर्ण केन्द्र रहा है। यहां के अनेक छात्र-छात्राओं ने उच्च शिक्षा प्राप्त कर शैक्षणिक, सामाजिक, राजनीतिक, एवं प्रशासनिक क्षेत्र सहित देश विदेश में नाम कमाया है। प्रशासनिक क्षेत्र में यहां अध्यनरत रहे छात्र-छात्राओं के नाम बडे ही सम्मान के साथ लिया जाता है। तब और अब की स्थिति में काफी परिवर्तन आ चुका है। अब तो शिक्षा का विस्तार सुदूर अंचलों तक हो चुका है। वर्तमान में उत्तर बस्तर में एक भी विश्वविद्यालय नहीं होने से स्थानीय छात्र -छात्राओं को उच्च शिक्षा जैसे एम.फील., पी.एच.डी., रिसर्च एवं अन्य रिफरेशर कोर्स करने हेतु यहां से 150 किलोमीटर दूर रायपुर, 165 कि.मी. जगदलपुर या 300 कि.मी. दूर बिलासपुर जाना पड़ता है। अधिक दूरी होने कारण यहां के मध्यम वर्ग एवं गरीब छात्र पैसे के अभाव में नहीं जा पाते । जिसके कारण यहंा के प्रतिभावान छात्र-छात्राए को उच्च शिक्षा से वंचित हो रहे है। इसलिए कांकेर में एक आदिवासी विश्वविद्यालय खोला जाए जिसमें साइंस, कामर्स, आटर्स , लॉ, कृषि, आदि विषय के साथ-साथ इंजीनियरिंग, मेडिकल, बीएससी नर्सिंग, डी. फार्म, बी फार्म, के विषय को भी शामिल किया जाय जिससे यहां के आदिवासी छात्र-छात्राओं के साथ -साथ सभी वर्ग के छात्र - छात्राओं को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में सुविधा हो सके। जब यह पत्र मुख्यमंत्री को सौंपा गया था तब देश के ख्याति प्राप्त काष्ठशिल्पी पद्मश्री अजय मंडावी ने भी मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को उत्तर बस्तर कांकेर में विश्वविद्यालय की मांग को वर्तमान परिदृश्य में उचित बताते हुए इसका समर्थन किया था। अब इस अंचल के छात्र-छात्राओं और परिजनों में एक आशा की नई किरण दिखाई दे रही है।